Bihari Biography
आज के आर्टिकल में हम रीतिकाल के प्रवर्तक कवि बिहारी (Bihari Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से पढेंगे और इनसे जुड़े महत्त्वपूर्ण प्रश्न भी पढेंगे ।
जीवनकाल ( Bihari Biography ) – 1595-1663 ई.
मृत्यु – 1663 ई.
जन्म स्थल – ग्राम वसुवा गोविंदपुर (ग्वालियर)
जाति – माथुर चतुर्वेदी
- जन्म ग्वालियर जानिये, खण्ड बुँदेले बाल।
तरुनाई आई सुखद, मथुरा बसी ससुराल’’
पिता – केशवराय
भक्ति संप्रदाय – निम्बार्क संप्रदाय
काव्य संप्रदाय – आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार रसवादी,डाॅ. नगेन्द्र के अनुसार ध्वनिवादी
भाषा – ब्रज
छंद/दोहा – 713
काव्य स्वरूप – मुक्तक काव्य
आश्रयदाता – जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह
- नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल’
अलि कलि ही सों बंध्यो आगे कौन हवाल’’
Bihari Biography 1645 ई. में बिहारी ने सर्वप्रथम जयसिंह को उक्त दोहा लिखकर भेजा जिससे प्रसन्न होकर जयसिंह ने ’काली पहाङी’ गाँव एवं आश्रय दिया।

कवि बिहारी की रचनाए ( Bihari Biography) –
बिहारी सतसई-1662 ई. में रचित। 719/713 दोहों की मुक्तक रचना ’ब्रजभाषा प्रयुक्त’ सतसई का आधार गाहा सप्तशती, आर्यासप्तशती एवं अमरुक शतक है।
कवि बिहारी की टीकाएँ एवं अनुवाद –( Bihari Biography)
- कृष्णलाल कवि – बिहारी के दत्तक पुत्र ’सर्वप्रथम टीका’ दोहे को सवैया छंद में बदला।
- सुरति मिश्र – अमरचंद्रिका 1737 ई.
- कर्ण कवि – साहित्य चंद्रिका, 1737 ई-
- प्रभुदयाल पाण्डेय – आधुनिक खङी बोली टीका, 1896 ई.
- अंबिका दत्त व्यास – ’बिहारी बिहार’ रोला छंद में भावानुवाद
- जगन्नाथ दास रत्नाकर – बिहारी रत्नाकर, 1921 ई., सर्वश्रेष्ठ टीका, खङी बोली में 713 दोहे।
- परमानंद – शृंगार सप्तशती। संस्कृत अनुवाद
- आनंदीलाल शर्मा – फिरंगे सतसई। फारसी अनुवाद
- मुंशी देवी प्रसाद ’प्रीतम’ – उर्दू शेरों में भावानुवाद। गुलदस्त बिहारी
- पद्मसिंह शर्मा – संजीवनी भाष्य
- लल्लूलाल – लालचन्द्रिका
⇒ बिहारी के आलोचना ग्रंथ (Bihari Biography)
- बिहारी और सादी (1907 ई.) – पद्मसिंह शर्मा
- बिहारी सतसई: तुलनात्मक अध्ययन (1918) – पद्मसिंह शर्मा
- देव और बिहारी – कृष्ण बिहारी मिश्र
- बिहारी और देव – लाला भगवानदीन
- ⋅बिहारी – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
- बिहारी की वाग्विभूति – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
⇒ बिहारी के संबंध में प्रमुख कथन ( Bihari Biography )–
जाॅर्ज ग्रियर्सन – सम्पूर्ण यूरोप में बिहारी सतसई के समकक्ष कोई रचना प्राप्त नहीं होती है।
पद्मसिंह शर्मा – बिहारी सतसई शक्कर की रोटी है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी – बिहारी सतसई रसिकों के हृदय का घर है।
राधाचरण गोस्वामी – बिहारी ऐसे पीयूषवर्णी ब्रजश्याम है, जिनके उदय होते ही सूर और तुलसी आच्छादित हो जाते है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी – बिहारी सतसई सैकङों वर्षों से रसिकों का मन मोह रही है। यह उनके हृदय का हार बनी हुई है और बनी रहेगी।
रामस्वरूप चतुर्वेदी – ध्वन्यात्मक और व्याकरणिक दोनों स्तरों पर कविता की यह भाषिक तराश रीतिकालीन मनोवृत्ति और मुगलकालीन कला की बारीक पसंदी के समानांतर चलती है। इस संदर्भ में बिहारी की रीतिकालीन काव्यभाषा का प्रतिनिधि कहा जा सकता है।
रामस्वरूप चतुर्वेदी – उर्दू शायरी में जो सादगी का चमत्कार मिलता है, उसी को टक्कर देता हुआ चमत्कार बिहारी ने शब्दों की तराश से पैदा किया है।
बच्चनसिंह – बिहारी का मन क्रीङापरक प्रेम में बहुत अच्छी तरह रमा था। यही कारण है कि इनके काव्य में सुरति चित्रों का अत्यधिक उल्लेख हुआ है। जिस हाव-योजना या भंगिमा वर्णन के लिए बिहारी की अत्यधिक प्रशंसा की जाती है उसके मूल में यही प्रवृत्ति समझनी चाहिए।
दिनकर – बिहारी के दोहों में न तो कोई बङी अनुभूति है न कोई ऊंची बात, सिर्फ लङकियों की कुछ अदायें हैं, मगर कवि ने उन्हें कुछ ऐसे ढंग से चित्रित किया है कि आज तक रसिकों का मन कचोट खाकर रह जाता है। जो लोग कविता में ऊँची अनुभूति या ज्ञान की बङी-बङी बातों की तलाश में रहते हैं, बिहारी की कविताओं में उन्हें अपने लिए चुनौती मिलेगी।
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र – बिहारी का भाषा पर वास्तविक अधिकार था। भाषा की दृष्टि से बिहारी की समता करने वाला, भाषा का वैसा अधिकार रखने वाला कोई मुक्तककार दिखायी नहीं देता है।
रामचंद्र शुक्ल – बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है। वाक्य रचना व्यवस्थित है और शब्दों के रूपों का व्यवहार एक निश्चित प्रणाली पर है। यह बात बहुत कम कवियों में पायी जाती है।
रामचंद्र शुक्ल – शृंगार रस के ग्रंथों में जितनी ख्याति और जितना मान ’बिहारी सतसई’ का हुआ उतना और किसी का नहीं। इसका एक-एक दोहा हिन्दी साहित्य में एक-एक रत्न माना जाता है।
रामचंद्र शुक्ल – मुक्तक में प्रबंध के समान रस की धारा नहीं रहती जिसमें कथा प्रसंग की परिस्थिति में अपने को भूला हुआ पाठक मग्न हो जाता है और हृदय में एक स्थायी प्रभाव ग्रहण करता है। इसमें तो रस के ऐसे छींटे पङते है जिनसे हृदय कलि का थोङी देर के लिये खिल उठती है। यदि प्रबंधकाव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।
रामचंद्र शुक्ल – जिस कवि में कल्पना की समाहारशक्ति के साथ भाषा की समास शक्ति जितनी अधिक होगी उतनी ही वह मुक्तक की रचना में सफल होगा। यह क्षमता बिहारी में पूर्ण रुप से विद्यमान थी।
रामचंद्र शुक्ल – जो हृदय के अंतस्तल पर मार्मिक प्रभाव चाहते हैं, उनका संतोष बिहारी से नहीं हो सकता। बिहारी का काव्य हृदय में किसी ऐसी लय या संगीत का संचार नहीं करता जिसकी स्वरधारा कुछ काल तक गूँजती रहे।
रामचंद्र शुक्ल – भावों का बहुत उत्कृष्ट और उदात्त स्वरूप बिहारी में नहीं मिलता। कविता उनकी शृंगारी है, पर प्रेम की उच्च भूमि पर नहीं पहुँचती, नीचे ही रह जाती है।
राधाकृष्ण दास – मुहावरे और उत्प्रेक्षा के तो बिहारीलाल बादशाह थे। श्यामसुंदर दास – बिहारी ने शब्दों के साथ बलात्कार बहुत कम किया है। व्याकरण व नियमों का व्यतिक्रम उनकी रचनाओं में बहुत कम पाया जाता है। कहीं-कहीं पर जो उनके कुछ शब्द अजनबी से लगते हैं वे इस कारण कि इनका प्रयोग बहुत कम होता है।
भगीरथ मिश्र – बिहारी की रचना में कहीं कोई कच्चापन नहीं झलकता है। प्रत्येक दोहा कलात्मक पूर्णता का एक रुप है। हिन्दी के कला प्रधान कवियों में बिहारी अग्रण्य है।
संयोग शृंगार रस का वर्णन विशेष :-( Bihari Biography )
- बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि है ।
- आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि है ।
- जयपुराधीश महाराजा जयसिंह के विशेष कृपापात्र थे ।
- हिंदी में समास पद्धति की शक्ति का परिचय सबसे अधिक बिहारी ने दिया है ।
- सतसैया जो बिहारी सतसई के नाम से संकलित और प्रचलित है ।
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कवि ( Bihari Biography ) बिहारी के महत्त्वपूर्ण प्रश्न –
1- बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखी ?
अ) कृष्ण कवि
ब) अंबिकादत्त व्यास
स) परमानंद
द) लल्लू लाल
2- बिहारी सतसई की टीका सवैया छंद में लिखी ?
अ) कृष्ण कवि
ब) अंबिकादत्त व्यास
स) परमानंद
द) लल्लू लाल
3- बिहारी सतसई के दोहों का पल्लवन रोला छंद में किया ?
अ) कृष्ण कवि
ब) अंबिकादत्त व्यास
स) परमानंद
द) लल्लू लाल
4- बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहे पर छंद बनाया ?
अ) कृष्ण कवि
ब) अंबिकादत्त व्यास
स) परमानंद
द) लल्लू लाल
5- बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में अनुवाद किया ?
अ) कृष्ण कवि
ब) अंबिकादत्त व्यास
स) परमानंद
द) लल्लू लाल
6- परमानंददास ने बिहारी सतसई का संस्कृत में अनुवाद किस नाम से किया ?
अ) आर्यासप्तशती
ब) गाथासप्तशती
स) रतनहजारा
द) श्रृंगारसप्तशती
7- बिहारी सतसई की टीका “लाल चन्द्रिका” नाम से लिखी ?
अ) कृष्ण कवि
ब) अंबिकादत्त व्यास
स) परमानंद
द) लल्लू लाल
8- बिहारी सतसई को शक्कर की रोटी कहा है ?
अ) आ. शुक्ल
ब) ह. प्र. द्विवेदी
स) पद्मसिंह शर्मा
द) म. प्र. द्विवेदी
9 बिहारी सतसई को “रसिकों के हृदय का घर” कहा है ?
अ) आ. शुक्ल
ब) ह. प्र. द्विवेदी
स) पद्मसिंह शर्मा
द) म. प्र. द्विवेदी
10- “फिरंगी सतसई” नाम से टीका लिखी ?
अ) आनंदीलाल शर्मा
ब) आसीफ अली
स ) राधाकृष्णदास
द) जफार खाँ
11-” यदि सूर सूर है ————– तो
बिहारी उस मेघ के समान है जिसके उदय
होते ही सबका प्रकाश आछन्न हो जाता है।” कथन है ?
अ ) आ. शुक्ल
ब ) ह प्र द्विवेदी
स) राधाकृष्णदास
द ) पद्मसिंह शर्मा
12- बिहारी सतसई है ?
अ) लक्षण ग्रंथ
ब) लक्ष्य ग्रंथ
स) दोनों
द) दोनों ही नहीं
13- “इनके दोहे क्या है, रस के छोटे छोटे छीटें है” कथन है ?
अ ) आ. शुक्ल
ब ) ह. प्र. द्विवेदी
स) राधाकृष्णदास
द ) पद्मसिंह शर्मा
कवि बिहारी के महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Bihari lal Biography in Hindi) –
14– बिहारी सतसई की टीका “अमर चन्द्रिका” नाम से लिखी ?
अ) सूरति मिश्र
ब) अंबिकादत्त व्यास
स) मुंशी देवी प्रसाद
द) लल्लू लाल
15- बिहारी सतसई को रामचरितमानस के बाद सबसे अधिक प्रचारित कृति माना है ?
अ) ग्रियर्सन
ब) शिवसिंह सेंगर
स) श्यामसुंदर दास
द) आ. शुक्ल
16- बिहारी को हिन्दी साहित्य का चौथा रत्न माना है ?
अ) आ. शुक्ल ने
ब) श्यामसुंदर दास ने
स) विश्वनाथ सिंह ने
द) लाला भगवानदीन ने
17- बिहारी को हिन्दी मुक्तक साहित्य का बेजोड़ कवि माना है ?
अ) आ. शुक्ल ने
ब) श्यामसुंदर दास ने
स) विश्वनाथ सिंह ने
द) लाला भगवानदीन ने
18- बिहारी को रीतिकाल का सर्वाधिक लोकप्रिय कवि माना है ?
अ) आ. शुक्ल ने
ब) श्यामसुंदर दास ने
स) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने
द) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने
19- “बिहारी की वाग्विभूति” के लेखक है ?
अ) आ. शुक्ल ने
ब) श्यामसुंदर दास ने
स) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने
द)हजारी प्रसाद द्विवेदी ने
20- शुक्ल ने बिहारी सतसई के किस पक्ष का उपहास किया ?
अ) जयसिंह के वर्णन का
ब) संयोग वर्णन का
स) वियोग वर्णन का
द) प्रकृति चित्रण का
21- “बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है” कथन है ?
अ ) आ. शुक्ल
ब ) ह प्र द्विवेदी
स) राधाकृष्णदास
द ) पद्मसिंह शर्मा
22- “इनकी कविता शृंगारी है परन्तु प्रेम की उच्च भूमि पर नहीं पहुँचती, नीचे रह जाती है” कथन है ?
अ ) आ. शुक्ल
ब ) ह. प्र. द्विवेदी
स) रामविलास शर्मा
द ) नंददुलारे वाजपेयी
23- रामसहाय दास ने किस नाम से टीका लिखी ?
अ) बिहारी बिहार
ब) राम सतसई
स) श्रृंगार सतसई
द) रस सतसई
24- “सतसई बरनार्थ” नाम से टीका लिखी ?
अ) वृंद
ब) सबलसिंह चौहान
स) ठाकुर
द) गुमान मिश्र
25- बिहारी सतसई में सर्वाधिक दोहे है ?
अ) जयसिंह के
ब) श्रृंगार के
स) नीति के
द) प्रकृति के