MSP full form | What is msp?|msp 2021 22 list
MSP full form – Minimum Support Price (न्यूनतम समर्थन मूल्य ) का अर्थ- पिछले कुछ वर्षों में, MSP ने भारत में किसानों को वित्तीय उतार-चढ़ाव के प्रभावों से बचने में मदद की है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) कृषि उत्पादकों को कृषि कीमतों में किसी भी तेज गिरावट के खिलाफ बीमा करने के लिए भारत सरकार द्वारा बाजार में हस्तक्षेप का एक रूप है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों के लिए बुवाई के मौसम की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा Minimum Support Price की घोषणा की जाती है। MSP भारत सरकार द्वारा उत्पादक-किसानों को बंपर उत्पादन वर्षों के दौरान कीमत में अत्यधिक गिरावट से बचाने के लिए निर्धारित मूल्य है।यदि आपMSP के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंतिम तक जरूर पढ़ें तो आइए देखते हैं MSP FULL FORM क्या होता है और MSP क्यों जरूरी है |
MSP full form – Minimum Support Price
न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार से उनकी उपज के लिए गारंटी मूल्य है।
प्रमुख उद्देश्य किसानों को संकटग्रस्त बिक्री से समर्थन देना और सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न की खरीद करना है।
यदि बाजार में बंपर उत्पादन और भरमार के कारण वस्तु का बाजार मूल्य घोषित न्यूनतम मूल्य से कम हो जाता है, तो सरकारी एजेंसियां किसानों द्वारा दी गई पूरी मात्रा को घोषित न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेती हैं।
MSP (Minimum Support Price) क्या हैं ? (MSP full form )
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) का अर्थ है- न्यूनतम समर्थन मूल्य या MSP को आमतौर पर भारत में किसानों को बाजारों की अनिश्चितताओं के साथ-साथ प्राकृतिक प्रकार की अनिश्चितताओं से बचाने के तरीके के रूप में जाना जाता है। किसानों के लिए एक ‘सुरक्षा जाल’, एमएसपी कृषि क्रांति का मूल है जिसने भारत को भोजन की कमी से एक खाद्य-अधिशेष राष्ट्र में बदलते देखा। पिछले कुछ वर्षों में, एमएसपी ने भारत में किसानों को वित्तीय उतार-चढ़ाव के प्रभावों को दूर करने में मदद की है। किसानों के विरोध के राष्ट्रीय राजधानी में पहुंचने के बाद Minimum Support Price एक प्रमुख चर्चा का विषय बन गया है। हम न्यूनतम समर्थन मूल्य के पीछे की अवधारणा को फिर से तैयार करते हैं।
भारत में MSP कब पेश किया गया था?
स्वतंत्रता के समय, भारत अनाज उत्पादन के मामले में एक बड़े घाटे की ओर देख रहा था। संघर्ष के पहले दशक के बाद, भारत ने व्यापक कृषि सुधारों के लिए जाने का फैसला किया। वर्ष 1966-67 में यह पहली बार था जब केंद्र द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पेश किया गया था। पहली बार गेहूं का एमएसपी 54 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया।
एमएसपी शुरू करने की क्या जरूरत थी?
हरित क्रांति के पथ पर, भारतीय नीति निर्माताओं ने महसूस किया कि किसानों को खाद्य फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता है। अन्यथा, वे गेहूं और धान जैसी फसलों का विकल्प नहीं चुनेंगे | क्योंकि वे श्रम प्रधान थे और उन्हें आकर्षक मूल्य नहीं मिलते थे। इसलिए, किसानों को प्रोत्साहित करने और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, 1960 के दशक में एमएसपी पेश किया गया था।
Minimum Support Price के तहत कितनी फसलें आती हैं?
फिलहाल केंद्र 23 फसलों के लिए एमएसपी मुहैया कराता है। इनमें बाजरा, गेहूं, मक्का, धान जौ, रागी और ज्वार जैसे अनाज शामिल हैं; अरहर, चना, मसूर, उड़द और मूंग जैसी दालें; कुसुम, सरसों, नाइजर बीज, सोयाबीन, मूंगफली, तिल और सूरजमुखी जैसे तिलहन। एमएसपी में कच्चे जूट, कपास, खोपरा और गन्ने की व्यावसायिक फसलों को भी शामिल किया गया है।
सरकार MSP पर कैसे फैसला करती है? (MSP full form )
भारत में, दो प्रमुख फसल मौसम हैं, अर्थात् ‘रबी’ और ‘खरीफ’।
- सरकार प्रत्येक फसल के मौसम की शुरुआत में MSP (Minimum Support Price) की घोषणा करती है।
- सरकार द्वारा कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा किए गए प्रमुख बिंदुओं का व्यापक अध्ययन करने के बाद एमएसपी तय किया जाता है।
- ये सिफारिशें कुछ पूर्व-निर्धारित सूत्रों पर आधारित हैं। इसमें वास्तविक लागत, निहित पारिवारिक श्रम के साथ-साथ किसानों द्वारा भुगतान की गई अचल संपत्ति या किराया शामिल है।
- तकनीकी शब्दों में, इन चरों को A2, FL और C2 कहा जाता है। एमएसपी की गणना सरकार अक्सर इन सभी को जोड़कर करती है।
क्या एमएसपी कानूनी है?
संक्षिप्त उत्तर – नहीं। जबकि केंद्र 60 के दशक के मध्य से खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए गेहूं और धान किसानों को MSP प्रदान कर रहा है, तथ्य यह है कि एमएसपी का कोई कानूनी कद नहीं है।
MSP (Minimum Support Price) की गणना
2009 से, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) एक फसल का MSP निम्न के आधार पर तय करता है:
- बनाने की किमत
- मांग
- आपूर्ति
- कीमतों में उतार-चढ़ाव
- बाजार मूल्य रुझान
- विभिन्न लागतें और
- अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य
- कृषि मजदूरी दर
Minimum Support Price ( MSP) तंत्र द्वारा कुल 23 वस्तुओं को कवर किया गया है |
अनाज-
- धान
- गेहूँ
- मक्का
- चारा
- बाजरा
- जौ
- रागी
- दालें:
- चना / चना / चना
- तूर
- मूंग
- उड़द
- मसूर
- तिलहन:
- मूंगफली
- रेपसीड
- सोया बीन
- तिल
- सूरजमुखी
- कुसुम
- नाइजर बीज
- वाणिज्यिक फसलें
- खोपरा
- गन्ना
- कपास
- कच्चा जूट
कुछ प्रमुख फसलों काmsp Price( msp 2020 21 list)
फसलों का नाम | year 2020-2021 |
धान | 1868 |
गेहूँ | 1975 |
बाजरा | 2150 |
मक्का | 1850 |
अरहर | 6000 |
मूंग | 7196 |
उड़द | 6000 |
मूंगफली | 5275 |
तिल | 6855 |
जौ | 1600 |
मसूर | 5100 |
कुसुम | 5327 |
तोरिया – | 4425 |
ग्राम | 5100 |
सूरजमुखी के बीज | 5885 |
जुट | 4225 |
कॉटन | 5825 |
ज्वार | 2640 |
रागी | 3295 |
MSP से क्या लाभ है?(MSP full form )
Minimum Support Price के अंतर्गत अगर देश में फसल का मूल्य कम भी हो जाता है तो भी किसान को सरकार के द्वारा पाय एमएसपी रेट के अनुसार ही दाम दिया जाएगा |
इसके अनुसार किसान भाई सरकारी मंडी में अपनी फसल को आराम से बेच सकता है
इससे फायदा यह है कि किसानों को बिचौलियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और फसल का सही कीमत भी मिलेगा
प्रत्येक साल सरकार MSP का आकलन करती है और एमएसपी के अंतर्गत फसल का उचित कीमत भी निर्धारित करती है जिससे किसानों की आय में इजाफा हो जाता है
Minimum Support Price (MSP) के अंतर्गत फसल के आकलन के साथ-साथ फसल का बीमा भंडारण और वितरण पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है
सरकार के द्वारा किसी भी फसल का उत्पादन किसी राज्य में अत्यधिक मात्रा में होता है तो सरकार खुद एमएसपी रेट के अनुसार उस फसल का खरीदारी करती है जिससे किसानों को अनाज बेचने में कोई भी परेशानी नहीं होती
क्या Minimum Support Price (MSP) से नए कृषि कानून का कोई संबंध है
देखा जाए तो वर्तमान में कई महीनों से किसानों के द्वारा पूरे देश भर में कृषि कानून को लेकर विरोध किया जा रहा है और आंदोलन चलाया जा रहा है की नए कृषि कानून को वापस लिया जाए|
किसानों का यह मानना है कि नए कृषि कानून लागू होने से MSP समाप्त कर दिया जाएगा सरकार द्वारा |
लेकिन कृषि कानून से MSP का कोई संबंध नहीं है|
इसलिए किसान भाइयों को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है|
एमएसपी में तय किए गए रेट पर कोई असर नहीं पड़ेगा | एमएसपी कृषि कानून से
चुकी इस नए कृषि कानून बिल में किसी भी प्रकार से एमएसपी के बारे में कहीं भी चर्चा नहीं किया गया हैं | एमएसपी आजादी के समय से ही चल रही है|और आगे भी सरकार के द्वारा चलाया जाएगा सरकार ने इसके बारे में लिखित रूप में किसानों को सौंपा है |
आइए अब देख लेते हैं नए कृषि कानून बिल क्या है ?

MSP FULL FORM
भारत सरकार के द्वारा बनाए गए नए कृषि कानून बिल जिसे संसद में पारित किया गया है | उस पर जरा संक्षेप में नजर डालते हैं|
पहला कृषि कानून बिल – सरकार ने किसानों को पूरे देश भर में अपनी फसल को msp के तहत बेचने की छूट दे रखी है किसान भाई चाहे तो अपनी अनाज को कहीं दूसरे स्टेट में भी जाकर आराम से भेज सकता है |
इस बिल में एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यापार बढ़ाने पर जोड़ दिया गया है |
दूसरा कृषि कानून बिल – में सरकार के द्वारा कृषि करारों को राष्ट्रीय रूप दिया है| इस बिल में कृषि पैदावार में वृद्धि ,बिक्री फॉर्म ,कृषि बिजनेस , थोक विक्रेता ,खुदरा विक्रेता ,से किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत किया गया है|
यानी किसान भाइयों को छूट दिया गया है कि वह किसी भी कंपनी के साथ अपनी एग्रीमेंट कर फसल को बेच सकते हैं|
इसमें सरकार के द्वारा किसान भाइयों को
उच्च किस्म के बीज उपलब्ध कराना,
तकनीकी सहायता करना
कृषि के लिए लोन मुहैया कराना
फसल बीमा में सहायता पहुंचाना किसान भाइयों को सुगमता से कर्ज उपलब्ध कराना आदि पहलुओं पर जोड़ दिया गया है |
तीसरा कृषि कानून बिल – में सरकार के द्वारा दाल ,तिलहन ,खाने वाला तेल ,प्याज, आलू ,अनाज, आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का नियम है |
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि बिल के लागू होने से किसान भाइयों को सही कीमत मिलेगी क्योंकि बाजार में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ जाएगा |
इसमें ऑनलाइन बिजनेस ऑनलाइन पेमेंट जैसे सुविधाजनक स्ट्रक्चर बनाया गया है |